झूठी मुस्कुराहट का भी, अपना असर है |
लगता है हमको, कुछ हमारी भी कदर है || 1 ||
उसकी मुस्कान का, कुछ मतलब न लगा लेना |
वो परी है जहाज़ की, दिल न उससे लगा लेना || 2 ||
सही कहा है, परियाँ जन्नत में होती हैं, जन्नत आसमान में होती है |
तो, आसमान के जहाज़ की ये सुंदरियाँ, क्या परियों से कम होती हैं || 3 ||
चेहरा मुस्कुराता है, दिल न लगाती हैं वो |
बस दूर से ही, इंसान से नज़रें चुराती हैं वो || 4 ||
खुदा ने हुश्न भी तो आसमान में लटका दिया है |
इस गरीब को इस हाल में एक फटका दिया है || 5 ||
इतनी ख़ूबसूरती, जमीं पर पैर न धरती है |
नज़रों से लगता है, किसी और पर मरती है || 6 ||
कितना बेदर्द नज़ारा था, हुश्न होते हुए बेदारा था |
बस एक तकल्लुफ था, हुश्न भी किये किनारा था || 7 ||
कितना सहती हैं रोज़, किनके-किनके आखों कि बेहहाई |
गर पूछ लो इनसे, पता चल जाए सबके नज़र कि सफाई || 8 ||
शायद ही किसी ने, नज़रें न मिलाई हों इनसे |
नजर से दिल मिलाने की आरज़ू की हो इनसे || 9 ||
इन हसीनों को भी काम करना पड़ता है |
दूसरों का कितना ख्याल रखना पड़ता है || 10 ||
गर वक्त होता, थोडा अभी पीछे |
दीदार न होता, इनका यूँ दरीचे |
होती ये किसी, सूबे की मल्लिका |
न देख पाते यूँ, इनका ये सलीका || 11 ||
पहरे में रहतीं, हर वक्त किसी के |
न गौर से देख पाते, यूँ जी भर के |
खुदा ने हम पर, मेहरबानी की है |
इनको न यूँ, किसी की रानी की है || 12 ||
सहमी सी जिन्दगी का, चेहरे से झलक आता है |
किसी और के सामने, चेहरा यूँ जो मुस्कुराता है || 13 ||
दिल में यूँ कितनी कसमसाहट होती है तब |
कोई अनजान हसीना, मुस्कुरा देती है जब |
कई तो आदि हैं इसके, न देखते हैं उनकी तरफ |
कैसे छिपाए, दिल का अरमाँ देखें उनकी तरफ || 14 ||
बड़ा अजीब लगता है, हलचल सी मच जाती है |
समझ न पड़ता, दिल में झंकार से बज जाती है || 15 ||
इस तरह शायद बहुत किस्से बने होंगे |
इन हसीनाओं के बहुत दीवाने बने होंगे || 16 ||
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