चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
रविवार, 10 जुलाई 2011
कुछ खफा
कुछ खफा हो, कुछ नासाज़ हो |
हुई खता हमसे, कुछ माफ़ हो |
जाना था की दिल पर लगेगी |
अपना सोचकर खफा न होगी |
हम बेददारी में, कुछ कह गए |
हम बेकरारी में, कुछ कह गए |
हम दिलनसी में, कुछ कह गए |
हम दिलखुशी में, कुछ कह गए |
1 टिप्पणी:
Sawai Singh Rajpurohit
10 जुलाई 2011 को 2:56 pm बजे
very nice post
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very nice post
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