चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
सोमवार, 25 जुलाई 2011
इशक न
इशक न हुआ किसी से अभी, तलाश में अभी भटकता हूँ |
शायद इसी भटकन में, किसी के दिल से अभी लटकता हूँ |
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