चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शनिवार, 23 जुलाई 2011
तेरे नैनों
तेरे नैनों में, तेरा दिल उभर आया है |
तू छिपा ले, ज़माने को नज़र आया है |
.
1 टिप्पणी:
रविकर
23 जुलाई 2011 को 5:36 pm बजे
अच्छी भावाभिव्यक्ति ||
बधाई
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अच्छी भावाभिव्यक्ति ||
जवाब देंहटाएंबधाई