सोमवार, 25 जुलाई 2011

एक तोहफा - 7


सुगंधा मिश्रा को एक तोहफा
Sugandha Mishra


खनक सुनी आवाज़ की, दिल को छू गयी |
तेरी खनकती आवाज़, रूह में समाँ गयी || १ ||

मुद्दत से उदास बैठा था, किसी के न पास बैठा था |
कानों में कहीं दूर से, एक सुरीला नगमा गूँजा था |
यूँ ही सुनते-सुनते धीरे-धीरे खुमार चड़ने लगा था |
उठा ढूँढा तो पता चला तेरा नगमा ही बज रहा था || २ ||

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