चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
रविवार, 17 जुलाई 2011
हमसे यूँ
हमसे यूँ हुश्न का दीदार नहीं होता |
खड़ी हो चुपचाप यूँ प्यार नहीं होता |
ہمسے یوں حشن کا دیدار نہیں ہوتا
کھدی ہو چپچھاپ یوں پیار نہیں ہوتا
Hamse Yun Hushn Ka Deedar Naheen Hota
Khadi Ho Chupchaap Yun Pyar Naheen Hota
.
1 टिप्पणी:
Shalini kaushik
17 जुलाई 2011 को 11:56 pm बजे
बहुत खूब कहा है आपने बधाई.
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बहुत खूब कहा है आपने बधाई.
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