इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शानदार प्रस्तुति आभार
सरक-सरक के निसरती, निसर निसोत निवात |चर्चा-मंच पे आ जमी, पिछली बीती रात ||http://charchamanch.blogspot.com/
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