शनिवार, 23 अप्रैल 2011

आरजू तो

आरजू तो न थी कि तुम दुबारा मिल जाओगे |
जामने भर के डर से इस तरह निकल जाओगे |
अब मुझे भी तो तुम्हारा साथ देना होगा |
नहीं तो यह ज़माना मुझे बेवफा कहेगा |

रहबरे रक्स

रहबरे रक्स की नुमाइश न कर |
मोहब्बते इश्क में मिटकर |
क्यूँकर तनहा हुई है इस तरह |
साफे फक्श में रूबरू इस तरह |

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

जज्बातों से

जज्बातों से खेला हूँ उसके पता नहीं उसका क्या हाल है ?
भूल चुका हूँ उसको पता नहीं फिर भी दिल क्यों बेहाल है ?
कुरेदती हैं यादें उसकी इस तरह दिल की चाल को |
समझ नहीं पाता हूँ अपने इस दिल के हाल को |

जन्नतें खुदा

जन्नतें खुदा की मिलती होंगी किसी खुशनसीब को |
हमें तो बस यह जहान मिल जाए इस बदनसीब को |

गुल नहीं

गुल नहीं खिला तो कलि का क्या कसूर है |
रुत नहीं आयी तो मौसम का क्या कसूर है |

बस देख

रक्खा है हुस्न ज़माने की नज़र बचाकर |
बस देख ले जरा सी नज़र उठाकर |
अंजुमन मेरा कह रहा है |
तू बस मेरा है मेरा है मेरा है |

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

रबे दिल

रबे दिल का अरमान मैं रोक न पाया |
तुझसे प्यार किया प्यार का इज़हार रोक न पाया |
इनकार तेरा आया मैं सहन कर न पाया |
दहलीज़ पर खड़ा तेरी दुबारा इज़हार करने आया |

नस्तर न

नस्तर न चला दिल पर मेरे, रहम कर तो जरा |
दिल की रोशनाई से, लिख रहा हूँ मुक्कदस तेरा |

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

रूबरू होना

देख रहें हैं तुमको, रूबरू होना अभी तुमसे बाकी है |
प्यार की आरजू दिल में रखते है, अभी तुमसे कहना बाकी है |

नज्मदार

नज़्म मैं क्या सुनाऊँ, कोई नजम्दार मिलता नहीं |
बज़्म मैं क्या बजाऊँ, कोई बज़म्दार मिलता नहीं |

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साफ़ जिन्दगी

तू है पाक साफ़, जिन्दगी का यह अरमा लिए घूमती है |
तू है अपना हुश्न लिए, सरे बाज़ार शरमा लिए घूमती है |
 
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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

तेरी मासूमियत

तेरी मासूमियत को यूँ नज़र न लगे किसी की |
तू गुजर जाए रस्ते से तेरे पर नज़र न पड़े किसी की |

तेरी सफ्श

तेरी सफ्श रौशनी में नहाया हुआ मंजर है यह |
आखों को सुकून दे कर दिल में उतर गया है यह |

रविवार, 17 अप्रैल 2011

अक्श में

अक्श में न देख अपने हुस्न को, तेरे हुस्न को तेरी ही नज़र न लग जाए |
निगाहें बता रहीं रही हैं तेरे गुरुर को, तेरा ही गुरुर तुझे न खा जाए |

इन्तहां इतनी

इश्क की इन्तहां इतनी न होती तो शायद हर कोई इश्क कर लेता |
इश्क का मज़मून तो पहले समझ तो शायद हर कोई इश्क कर लेता |

जिन्दगी का

देख न यूँ मुस्कराकर जिन्दगी का फ़साना हम भूल जायेंगे |
तेरी यह मासूम मुस्कराहट दिल में यूँ उतर गयी है की हम धडकना भूल जायेंगे |

रविवार, 10 अप्रैल 2011

कितनी मासूम

कितनी मासूम हो तुम यह तुम्हे पता नहीं हैं
इन नज़रों की सफाकत का इन ओंठों की नजाकत का तुम्हे पता नहीं है |

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

दिल मचला

 जिनके लिए तन्हाई में कभी दिल मचला करता था |
सुना है वो रहनुमाई  किया करते हैं किसी और की |

Jinke Liye Tanhai Mein Kabhi Dil Machla Karta Tha,
Suna Hai Vo Rahnumai Kiya Karte Hain Kisi Aur Ki,

جنکے لئے تنہائی میں کبھی دل مچلا کرتا تھا،
سنا ہے وو رہنمائی کیا کرتے ہیں کی اور کی،

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याद आये

मुद्दत से,
जो न याद,
आये कभी,
वह क्यूँकर,
याद आये अभी,

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वो सनम

याद न दिला,
उसकी वो सनम,
दे गए है,
जो दिल पर जख्म,

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दर्द में

दर्द में गुजरे हुए,
लम्हों के बात करेंगे,
वक्त वे वक्त कुछ गुजरे हुए,
वक्त की बात करेंगे,

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बुधवार, 6 अप्रैल 2011

तुझे देखकर

तुझे देखकर,
दिल की,
धडकन,
तेज हो गयी,

निगाहें,
तुझ पर,
ठहर-सी,
गयी,

मत पूँछ,
हाल मेरा,
बेसुध पड़ा हूँ,
बरामदे में,

मनसूबे,
बना रहा हूँ,
तुझसे,
मिलने के,

बहाने,
ढूंड रहा हूँ,
घर से,
निकलने के,

न कुछ,
खाया है,
न कुछ,
पिया है,

पता नहीं,
कुछ अजीब-सा,
मज़ा,
मिल रहा है,

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मातम

मातम न मना,
ओ प्यार मेरे,
देख अभी मैं जिन्दा हूँ,
रुखसत न हुआ,
अभी जनाजा मेरा,
इंतज़ार है,
तेरी वफ़ा का मुझे,

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