ऐसे तो रोज़ निकल जाती थी,
यूँ न देर लगाती थी,
पर आज पता नहीं,
अभी तक क्यूँ आयी नहीं,
देखता हूँ, जाता हूँ,
पता लगाता हूँ,
क्या बात है,
पहुंचा वहाँ,
क्या देखता हूँ,
अपनी सहेलियों के साथ,
हो रही उसकी बात है |
चिड़ा रहीं हैं उसे,
चुहुल बाज़ी हो रही है,
शायद किसी दावत की बात हो रही है,
उसकी तरफ से भी हाँ हो रही है,
मुझे जो देखा, आँख फेर ली,
सहेली के काम में कुछ कहा,
सहेली ने इशारा में कहा,
कुछ दूर चलने को कहा,
न आना अब इसके पीछे.
ये जा रही किसी और के पीछे,
खैर अगर चाहो,
दूर अब भागो,
अब क्या बचा था,
मुँह मेरा लटका था,
उन्ही बैठ गया,
न उठा गया,
.
यूँ न देर लगाती थी,
पर आज पता नहीं,
अभी तक क्यूँ आयी नहीं,
देखता हूँ, जाता हूँ,
पता लगाता हूँ,
क्या बात है,
पहुंचा वहाँ,
क्या देखता हूँ,
अपनी सहेलियों के साथ,
हो रही उसकी बात है |
चिड़ा रहीं हैं उसे,
चुहुल बाज़ी हो रही है,
शायद किसी दावत की बात हो रही है,
उसकी तरफ से भी हाँ हो रही है,
मुझे जो देखा, आँख फेर ली,
सहेली के काम में कुछ कहा,
सहेली ने इशारा में कहा,
कुछ दूर चलने को कहा,
न आना अब इसके पीछे.
ये जा रही किसी और के पीछे,
खैर अगर चाहो,
दूर अब भागो,
अब क्या बचा था,
मुँह मेरा लटका था,
उन्ही बैठ गया,
न उठा गया,
.
bahut gahan prastuti
जवाब देंहटाएं