शनिवार, 23 जुलाई 2011

एक तोहफा - 4

सुगंधा मिश्रा को एक तोहफा
Sugandha Mishra




हुश्न भी पाया है, आवाज़ भी पायी है |
अदा भी पायी है, अदाकारी भी पायी हैं |

सबसे बड़ी बात है की, जज्बातों की कदर करती हो |
दूसरों के दिल की बात को, अपने दिल से सुनती हो |

ये नवाजिस खुदा सबको नहीं देता है |
किसी खास को ही यह तोहफा देता है |

तुम पर खुदा की मेहर बनी रहे |
हम पर तुम्हारी नज़र बनी रहे |

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