रविवार, 10 नवंबर 2013

उसे पता

उसे पता भी न चला,
उसके लिए,
कितने,
लड़ गये,
मर गए,
कट गए,
कितनों का खून बहा,
कितनों को चोटें लगीं,

उसे पता भी न चला,
उसके लिए,
दोस्त-दोस्त से लड़ा,
छोटा बड़े से भिड़ा,
हर कोई एक-दुसरे से चिड़ा,
दोष दुसरे पर मढ़ा,

उसे पता भी न चला,
उसके लिए,
दीवानगी किस-किस की,
दाव-पर-दाव,
उसके नाम पर लगे,
शहर पर सहर,
उसके नाम से बसे,

उसे पता भी न चला,
उसके लिए,
कितनों ने उसे सपनों में बुलाया,
सपनों में सजाकर,
सपनों कि रानी बनाया,
सपनों ही सपनों में,
ब्याह रचाया,
उसे पता भी न चला,

...

थोड़ा तो

थोड़ा तो इकरार कर लो,
जी भरकर प्यार कर लो,
हर तरफ दीवानगी है,
कुछ तो कुछ इज़हार कर लो,

...

है दूर

है दूर कि नहीं,
पास कि बात है,
बस अभी-अभी हुई,
मुलाकात कि बात है,

...

दागदार है

दागदार है, जिन्दगी मेरी,
खुशनुमा माहोल, कहाँ से लाऊँ,
कहो तो, क़तरा-कतरा,
बिखरे लहू को समेट लाऊँ,

...













रविवार, 13 अक्तूबर 2013

कोई तूफान

कोई तूफान,
उठते-उठते,
ठहर गया,

कोई मन्जर,
निकलते-निकलते,
रुक गया,

कोई कुछ,
कर गया,
कोई कुछ,
कर गया,

धड़कते दिल,
से अरमा निकल गया,
वो गया,
वो गया,

है आदिल

है आदिल का आएना वो, नब-ए-निज्बत से पूछ ले तू,
कहने को तो जिन्दगी है, हर हाल में जी ले तू,

श्रुति सेठ - 1

श्रुति सेठ,

तू कबसे आ गयी, तेरा ही इंतज़ार बहुत देर से था,
तेरे बिन सब सूना था, तेरे बिन सब बोर सा था,

तू अब आ गयी, शो में बहार छा गयी है,
एक ताजगी आ गयी, तू तो बहुत समां गयी है,

तेरे इस अंदाज़ का, कबसे इंतज़ार था,
तेरी इस आवाज़ को, दिल सुनने को बेकरार था,

तेरा आना बहुत अच्छा लगा, यह शो बहुत सुंदर लगा,
तेरा यह दीवाना, बहुत खुश होने लगा,

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