चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
जमाना जो
जमाना जो कहता है, खूब कहता है |
ज़माने से जो दूर रहता है, बहुत ऊब रहता है |
1 टिप्पणी:
Sawai Singh Rajpurohit
8 जुलाई 2011 को 8:37 pm बजे
very nice post.
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very nice post.
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