शनिवार, 16 जुलाई 2011

ऐसे तो

ऐसे तो उदास न बनो, दिल के तलबगार न बनो |
गर हो गयी खता हमसे, उसे अब माफ़ करो |

ایسے تو اداس ن بنو، دل کے طلبگار ن بنو
گر ہو گیے کھاتا ہمسے، اسے اب معاف کرو

Aise To Udaas Na Bano, Dil Ke Talabgaar Na Bano.
Gar Ho Gayee Khata Hamse, Use Ab Maaf Karo.

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1 टिप्पणी:

  1. वाह बहुत अच्छी रचना ||
    एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ||
    बधाई ||

    हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
    तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||

    अक्सर गम-गम, थम-थम, अब थम |
    शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम - व्यर्थम ||

    दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम |
    तन तन हर-दम *समदन सम-सम || *युद्ध

    *करवर पर हम, समरथ सक्षम | *विपत्ति
    अनरथ कर कम, झट-पट भर दम ||

    भकभक जल यम, मरदन मरहम |
    हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम ||

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