शनिवार, 16 जुलाई 2011

साफे गम

साफे गम में दुनिया है |
गम की महफिल में मुनिया है |
गर करो राजदार तो |
हर दिल में एक दुनिया है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें