चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
मंगलवार, 26 जुलाई 2011
गरीब को
उतर कर हुश्न ने, यूँ जो गरीब को देखा |
नसीब उसका खुल गया, दरीब को देखा |
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