चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
रविवार, 10 जुलाई 2011
सरे बाज़ार
सरे बाज़ार तुझे उठाऊंगा |
प्यार किया है, शादी तुझी से रचाउंगा |
ज़माने को यह करके दिखाऊंगा |
कितना दम भर ले जमाना, तुझे तो लेकर जाऊँगा |
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