चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
गुरुवार, 28 जुलाई 2011
न दीदार
न दीदार कर, न इंतज़ार कर, अब तो हम चले |
न तुम अब आओ, हम तो किसी और के हो चले |
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