रविवार, 10 जुलाई 2011

उठी आँख

उठी आँख, नज़ारा देखा,
सामने खुदा का तराशा देखा,
थम गयी सांस,
अटक गयी नज़र,
सिहर गया जिस्म,
तन गए रोएँ,
आफ़ताब का पिटारा देखा,
नूर-ए-नज़र का चेहरा देखा,

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