चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
मंगलवार, 12 जुलाई 2011
खाक दिल
खाक दिल में मिला दिया, अब ये कहती है क्यूँ सिला दिया |
गम का मंज़र क्यूँ पिला दिया, रूह को मेरी क्यूँ रुला दिया |
1 टिप्पणी:
नीरज द्विवेदी
12 जुलाई 2011 को 7:18 pm बजे
Wah .. Dard bhara nagma
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