चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शनिवार, 16 जुलाई 2011
आँख यूँ
आँख यूँ नम हुई, दिल यूँ खोने लगा |
तुम जो छोड़कर गई, दिल यूँ रोने लगा |
1 टिप्पणी:
Shalini kaushik
16 जुलाई 2011 को 4:41 pm बजे
बहुत खूब शानदार प्रस्तुति बधाई
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