चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शनिवार, 16 जुलाई 2011
जज्बा-ए-हुश्न
जज्बा-ए-हुश्न मैं क्या कहूँ, तेरे हुश्न ने मुझे मारा है |
तू यूँ क्यूँ न समझ रही, तेरे नैनो ने मुझे तारा है |
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