चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
बुधवार, 27 जुलाई 2011
तस्सवुर तेरे
तस्सवुर तेरे चेहरे का, रोज़-रोज़ पीता हूँ |
आज न आ सका, तस्वीर को देख लेता हूँ |
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