गुरुवार, 15 सितंबर 2011

रोज़ इसी

सह्फन-ओ-अख्लियत, आरमान मेरा दिल में उतार ले,
रोज़ इसी तरह से मिलेंगे, वक्त ज़रा निकाल ले,


.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें