मंगलवार, 27 सितंबर 2011

बह गया

बह गया जो पानी, वो दरिया में फिर न पाओगे,
जिनको छोड़ा था, उनको किसी और के साथ पाओगे,
फिर दिल के ज़ज्बात में डूबे, और कहीं न जागोगे,
देखना हमारी याद के सहारे जिन्दगी बिताओगे,

खातिर तवज्जो आज याद ही गयी आखिर,
यूँ हमको ही फिर अपना बनाओगे आखिर,
किसी और के न बन पाओगे आखिर,
मेरे ही आगोश में आओगे आखिर,

किसने कहा की भुला दिया है तुमको,
यूँ क्यूँ अंदाज़ लगा लिया है तुमने,
अरे अपने दिल से पूछो,
क्या दिल से निकाल दिया है मुझको,



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