कुछ उन पर,
कुछ उनके अंदाजों पर,
नजर यूँ चली जाती है,
रोकता हूँ बहुत,
पर नज़र फिसल ही जाती है,
जब नज़र से नज़र मिल जाती है,
तो गज़ब का अहसास दे जाती है,
जहां से महरूम हो जाते हैं,
आलम को अब भूल जाते हैं,
.
कुछ उनके अंदाजों पर,
नजर यूँ चली जाती है,
रोकता हूँ बहुत,
पर नज़र फिसल ही जाती है,
जब नज़र से नज़र मिल जाती है,
तो गज़ब का अहसास दे जाती है,
जहां से महरूम हो जाते हैं,
आलम को अब भूल जाते हैं,
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