सोमवार, 26 सितंबर 2011

जिस्म हमने

जिस्म हमने देखे नहीं आज तक,
लैला-मजनू, हीर-रांझा, सीरी-फरहाद, के,
पर रूहें उनकी जिन्दा हैं अभी तक,
कितनी पाकीदगी रही होगी इश्क में उनके,


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