चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
गुरुवार, 29 सितंबर 2011
तनहा-सा खड़ा
यूँ ही तनहा-सा खड़ा था,
अपने गम में डूबा हुआ,
याद उसकी सताती थी,
उसी की याद में खोया हुआ,
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें