मंगलवार, 13 सितंबर 2011

चंद्रमुखी चौटाला


तेरे लट्ठ पन ने तुझे एक मुकाम दिला दिया |
तुझे सारे ज़माने में इस कदर चमका दिया |
तेरी अक्ल की दाद देता है यह जमाना | 
चंद्रमुखी चौटाला का भी है एक फ़साना || १ ||
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इतनी सफाई से केश को सोल्व करती हो |
की किसी को भी भनक नहीं लगने देती हो |
रुसवा नहीं होता कोई, ऐसा इन्साफ दिलाती हो |
अंदाज़ तुम्हारा निराला है, सबसे बड़े सलीके से पेश आती हो ||२ ||
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इस तरह तू मुझे न देख, मुझे तुझसे लगता है डर |
बात सिर्फ इतनी सी नहीं है, दिल का तो तू है समंदर |
पर तेरी आवाज़ और तेरे अंदाज़ से मुझे लगता है डर |
इज़हार तो करना चाहता हूँ, अपने दिल का मन्ज़र || ३ ||
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गुरुरे हुस्न, मैं तुझे ताकीद न कर पाया |

देखता रहा तुझे, तस्लीम न कर पाया |
खता माफ़ हो, या सजा दे दो |
पर नज़र न हटे तुझसे, ऐसी जगह दे दो || ४ ||
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वाह वाह ! ताबे हयात लग रही हो |

इस लिबास में भी, नूर-ए-हयात लग रही हो || ५ ||



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