चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
तेरे दिल
मर गए, मिट गए, तेरे दिल में बस गए,
गर तू अपना दिल भी चीरे, मर हम गए,
तो कैसी ये सिफातन होगी सनम,
दिल तुम्हारा था, बस हम गए सनम,
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें