शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

आफरीन-ए-मोहब्बत

आफरीन-ए-मोहब्बत तेरी,
खुलूश-ए-गयास है तेरी,
न उफान ले ये जहमी,
न बने तू यूँ बहमी,

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