चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शनिवार, 17 सितंबर 2011
मज़ाक बना
अपने को मज़ाक बना दिया, दुनिया की नज़र में,
दुनिया ये सोचती है, पागल है, किसी के असर में,
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1 टिप्पणी:
रविकर
19 सितंबर 2011 को 11:39 am बजे
सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
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सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||