चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
गुरुवार, 15 सितंबर 2011
क्यूँ सताते
ऐसे क्यूँ सताते हो, रोज़-रोज़ ख्वाबों में क्यूँ आते हो,
मिल लो एक बार रूबरू, रोज़ ख्वाबों में क्यूँ बतियाते हो,
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