रविवार, 25 सितंबर 2011

प्यार हो

यार से ही प्यार हो जाता है,
प्यासे को पानी ही पियाला जाता है,
पीते-पीते निगाह एक हो जाती है,
पर अब घड़े से कौन चुल्लू में पिलाता है,

कुँए अब ख़त्म हुए,
पनघट पर कौन अब जाता है,
प्यासा तो बेचारा अब भी है,
पर बोतल से पी लेता है,

निगाह न एक हो पाती है,
कोई पनिहारिन न मिल पाती है,
बिचारा आधे प्यार पर रह जाता है,
आधा प्यार न उसे मिल पाता है,
इसलिए प्यार अधुरा रह जाता है,

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