चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
रविवार, 25 सितंबर 2011
इन आखों
इन आखों की सिफई गर पढ़ लो,
तो जन्नत नसीब होगी,
इसी जमीन पर यह हुश्न परी,
तेरी शरीक-ए-हयात होगी,
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