है सहाले बाज़ार में,
वेवफा से रहते हैं,
कुछ वो खफा से रहते हैं,
कुछ हम खफा से रहते हैं,
दूरियाँ बढती गयी,
मजबूरियां बढती गयी,
जिन्दगी के सफ़र में,
मैंने इधर, वो उधर चली गयी,
.
वेवफा से रहते हैं,
कुछ वो खफा से रहते हैं,
कुछ हम खफा से रहते हैं,
दूरियाँ बढती गयी,
मजबूरियां बढती गयी,
जिन्दगी के सफ़र में,
मैंने इधर, वो उधर चली गयी,
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