गुरुवार, 29 सितंबर 2011

जैसे-जैसे

जैसे-जैसे,
साफ़ हुआ,
मंज़र,
नज़र आयी,
एक हसीना,
पसीने में,
तरबतर,
शबाब-ए-हुश्न में,
डूबी हुयी,
तरासा-ए-खुदा का,
एक नगीना,

लटें वो,
सुलझा रही थी,
धूल वो,
झाड़ रही थी,
बेखबर-सी,
जल्दी-जल्दी,
अपने को,
साफ़,
कर रही थी,

आस-पास,
सबकी नज़र,
उस पर थी,
घूरते लोग थे,
नज़रें गड़ाकर,

उसको अहसास हुआ,
शर्म-शार हुयी,
दबे पाँव,
धीरे-से,
रुखसत हुयी,





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