चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
गुरुवार, 15 सितंबर 2011
निगाह तेरी
हम-ओ-अमज़ा, शर्म तुझे बहुत आती है,
निगाह तेरी झुक जाती है, गाल तेरे लाल कर जाती है,
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