गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011

गम-ए-महफ़िल

गम-ए-महफ़िल में,
हमें भी,
शामिल,
कर लो,

यारों,
आज
उसकी याद,
बहुत सताती है,

वो इधर,
फिर उधर से,
न जाने,
कहाँ-कहाँ से,
सताती है,

उसकी यादों से,
भरा है,
जहन मेरा,
उसी से निकल-निकल,
कर सताती है,

बहुत प्यार है,
उसे मुझसे,
फिर भी,
न जाने,
क्यूँ,
सताती है,

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