शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

इनकी यह

इनकी यह तिकड़ी कितना छा गई है,
हर किसी के मन को भा गई है,
हर किसी के दिल में समां गई है,
हँसते-हँसाते कितना इल्म थमा गई है,

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