वो कुछ न कह रहे थे, होंठ उनके चुप लग रहे थे,
वो बस देख रहे थे, कसक-सी पैदा कर रहे थे,
उनको कैसे अहसास हुआ, मेरे दिल दिल में खास हुआ,
देख वो हमें रहे थे, निगाह न हम उनसे फेर रहे थे,
ये निगाह-निगाह मिलाने का सिलसिला, क्या सितम ढाता है,
जब निगाह मिले किसी से तो समझ में, आता है,
अब वो पास आ रहे थे, हम ठिठके जा रहे थे,
होश भी नहीं हमको, उनमें समाते जा रहे थे,
.
वो बस देख रहे थे, कसक-सी पैदा कर रहे थे,
उनको कैसे अहसास हुआ, मेरे दिल दिल में खास हुआ,
देख वो हमें रहे थे, निगाह न हम उनसे फेर रहे थे,
ये निगाह-निगाह मिलाने का सिलसिला, क्या सितम ढाता है,
जब निगाह मिले किसी से तो समझ में, आता है,
अब वो पास आ रहे थे, हम ठिठके जा रहे थे,
होश भी नहीं हमको, उनमें समाते जा रहे थे,
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