चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
सोमवार, 24 अक्टूबर 2011
वो दिल की
वो दिल की दिल में रख लेते हैं,
हम जुबां से सब कह देते हैं,
बस एक गुनाह कर लेते हैं,
ज़ज्बात अपने जाहिर कर देते हैं,
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