चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
सोमवार, 17 अक्टूबर 2011
वो मुड़कर
वो मुड़कर मुस्कुराकर चली गईं,
उनकी मुस्कान दिल में उतर गई,
जब भी आँखें हमारी बंद-सी हुईं,
याद उनकी दिल में घर-सी गईं,
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें