गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011

उसने

उसने,
ये जिन्दगी,
हंसकर,
गुज़ार दी,

अहसास तक,
न होने दिया,
रोकर,
गुज़ार दी,

तन्हाई में,
अपनी,
किसी को,
न शामिल किया,

भरी भरकम,
जिन्दगी को,
अकेले ही,
उसने जिया,

मिलता था,
ख़ुशी से,
गले लगकर,
सभी से,

खिलता था,
चेहरा,
खिली-खिली,
हंसी से,

दिल के,
आंसुओं को,
आँखों की,
नमी,
न बनने दिया,

उन्ही से,
सींचकर,
नूर,
अपना,
है बनने दिया,

.

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