सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

वो नज़रें

वो नज़रें चुरा रहे हैं,
दूर ही दूर से,

वो निगाह न मिला रहे हैं,
दूर ही दूर से,

कैसे उनसे निगाह मिलाएं,
दूर ही दूर से,

कैसे उनके दिल में उतर जाएँ,
दूर ही दूर से,

वो नज़रें चुरा .................

.............................

पास जाने की जहमत जो हमने की,
दूरी और उन्होंने हमसे है अपनी की,

...............................

क्या कहें उनकी कशिश को,
दूर ही दूर से,

खिंच रहें हैं उनकी और,
दूर ही दूर से,

वो चले आ रहे हैं ईधर,
दूर ही दूर से,

नज़रें वो मिला रहें हैं,
दूर ही दूर से,

वो नज़रें चुरा ................

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