मंगलवार, 11 अक्टूबर 2011

चले आये हैं

चले आये हैं,
ख्वाबों में,
बिना दरवाज़ा,
खटखटाए,

बैठते हैं,
देखते हैं,
बतियाते हैं,
सुलाते हैं,

सो जाते हैं,
जगाते हैं,
बिना बताये,
चले जाते हैं,

रोज़ यही होता है,
दिल उन बिन न सोता है,
रात भी न कटती है,
दिनभर भी न जगती है,
अलसाई-सी रहती है,

चले आये हैं .............

प्यार उन्हीं से होता है,
उनके आगोश में खोता है,
अच्छी नींद से सोता है,
ख्वाबों में उसे देखता है,


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