रविवार, 9 अक्तूबर 2011

नख्तूल-ए-नहमक

नख्तूल-ए-नहमक, फितरन से बाज़ न आते,
रोज़-रोज़ देखने हुश्न मेरा, मेरी गली चले आते,


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