शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011

कत्रीना कैफ - 6

कत्रीना कैफ - Katrina Kaif

बजिबे खातून,
तुझे ख़त लिखता रहा,
जवाब न तेरा आया,
पर मैं लिखता रहा,
स्याह हो गयी जिन्दगी,
स्याही से,
तू एक जवाब दे दे,
रोशनाई से,

तेरे बेपनाह हुश्न की तारीफ़ करता हूँ,
तेरे अंदाज़े बयां की तारीफ़ करता हूँ,
तेरी सादगी की तारीफ़ करता हूँ,
तेरी अदायगी की तारीफ़ करता हूँ,

सफ़क रोशनी है,
आखें चुंधिया-सी गयी,
नूर है हुश्न का,
चमक बिजली-सी गयी,

देख न यूँ हुश्न को,
नज़र का लगा यूँ,
ये हुश्न की बेपर्दादारी है,
देख न उसे यूँ,

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