चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011
कृतिका कामरा - 6
कृतिका कामरा Kritika Kaamra
वाह साफ़ाकियत-ए-मजमूनात,
तेरे हुश्न के लिए क्या कहूँ,
गोशा-ए-लफ़्ज़ों को रहने दूँ,
दीदार-ए-अदा, आखें खुली रखूँ,
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