शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

वोह ! कातिल

वोह ! कातिल इतनी नजदीकी न सह पाऊंगा,
आगोश में समाँ ले मुझे, तेरे बिना न रह पाऊंगा,
निगाह से निगाह में उतर जाने दे, तुझे निगेहबान बनाऊंगा,
दिल से दिल में समां जाने दे, तुझे दिलरुबा बनाऊंगा,


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