कृतिका कामरा Kritika Kamra |
जबसे तुझे देखता आ रहा हूँ,
कशिश में खिंचता आ रहा हूँ,
तुझ में एक खिचाव-सा है,
जो किसी और पड़ाव का है,
बहुत सोचा, बहुत ढूँढा,
वजह तक न पहुँचा,
तब कहीं से है जाना,
तू तो है इरानी हसीना,
सुना था किसी से,
इरानी हुश्न का दुनिया में जोर है,
ईरान जैसा हुश्न,
दुनिया में कहीं न और है,
हुश्न के मामले में,
आज भी ईरान ही अव्वल है,
ईरानी हुश्न का,
आज भी दुनिया में बल है,
कशिश में खिंचता आ रहा हूँ,
तुझ में एक खिचाव-सा है,
जो किसी और पड़ाव का है,
बहुत सोचा, बहुत ढूँढा,
वजह तक न पहुँचा,
तब कहीं से है जाना,
तू तो है इरानी हसीना,
सुना था किसी से,
इरानी हुश्न का दुनिया में जोर है,
ईरान जैसा हुश्न,
दुनिया में कहीं न और है,
हुश्न के मामले में,
आज भी ईरान ही अव्वल है,
ईरानी हुश्न का,
आज भी दुनिया में बल है,
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