शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

कृतिका कामरा - 3

कृतिका कामरा Kritika Kamra


जबसे तुझे देखता आ रहा हूँ,
कशिश में खिंचता आ रहा हूँ,
तुझ में एक खिचाव-सा है,
जो किसी और पड़ाव का है,

बहुत सोचा, बहुत ढूँढा,
वजह तक न पहुँचा,
तब कहीं से है जाना,
तू तो है इरानी हसीना,

सुना था किसी से,
इरानी हुश्न का दुनिया में जोर है,
ईरान जैसा हुश्न,
दुनिया में कहीं न और है,

हुश्न के मामले में,
आज भी ईरान ही अव्वल है,
ईरानी हुश्न का,
आज भी दुनिया में बल है,

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